अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम अथवा डॉक्टर ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।[3] वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे।इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा।[4]इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।[5]कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये।
प्रारंभिक जीवन
15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ।[6] इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे।[7] इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे।[5] अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए।[8][9] पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था। उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन मे सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए।अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।[7] कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
वैज्ञानिक जीवन
apj abdul kalam
आईआईटी,
गुवाहाटी में अभियांत्रिकी के छात्रों को संबोधित करते अब्दुल कलाम
1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। डॉक्टर अब्दुल कलाम को
परियोजना महानिदेशक
के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र
बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की
कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष
क्लब का सदस्य बन गया।
[6]
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान
किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित
प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने
अग्नि एवं
पृथ्वी
जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई
1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध
और विकास विभाग के सचिव थे।
[6] उन्होंने
रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग
आग्नेयास्त्रों
के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी
परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण
की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। डॉक्टर कलाम ने भारत के
विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक
विशिष्ट सोच प्रदान की।
[6] यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
1982 में वे
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया।
अग्नि मिसाइल और
पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे
भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने
1998 में
पोखरण में अपना दूसरा सफल
परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
[6]
राजनैतिक जीवन
डॉक्टर अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे।
इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार
बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002
को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा
भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई।
[11]
इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके
मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई
2007 को समाप्त हुआ।
[6] डॉक्टर अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे।
[5] इन्होंने अपनी जीवनी
विंग्स ऑफ़ फायर
भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी
दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक
विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं।
[6] यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन
किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक
है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को
विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।
“
”
यूं तो डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन
राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों
के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है।
इन्होंने अपनी पुस्तक
इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को
अंतरिक्ष विज्ञान
के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए
इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत
को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में
भी तकनीकी विकास चाहते थे। डॉक्टर कलाम का कहना था कि 'सॉफ़्टवेयर' का
क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता
से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो
सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं।
[11]
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद
कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम
भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग,
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद,
भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व
भारतीय विज्ञान संस्थान,
बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।
[12]भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान,
तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति,
अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और
अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।
[13]
मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ,भ्रष्टाचार
को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, "मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ" का
शुभारंभ किया।
[14]उन्होंने यहाँ
तमिल कविता लिखने और
वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग
वाद्य यंत्र को बजाने का भी आनंद लिया।
[15][16]
कलाम
कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और
हिंदू संस्कृति में विश्वास करते थे।
[17] इन्हें 2003 व 2006 में "एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर" के लिए नामांकित किया गया था।
[18][19][20]
2011 में आई हिंदी फिल्म
आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक
राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कलाम रख लेता है।
[21]2011 में, कलाम की
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र
पर अपने रुख से नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की गई। इन्होंने ऊर्जा
संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। इन पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं
करने का आरोप लगाया गया।
इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना जाता है पर संयंत्र
की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आश्वासनों से
नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
[22]
निधन
...मैं यह बहुत गर्वोक्ति पूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसी के
लिये आदर्श बन सकता है; लेकिन जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया उससे
किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी सी जगह पर
सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो। शायद यह ऐसे बच्चों को उनके
पिछड़ेपन और निराशा की भावनाओं से विमुक्त होने में अवश्य सहायता करे।
“
”
सूक्तियाँ - अब्दुल कलाम[23]
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम
भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' (
en:Livable Planet) पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार
कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े।
[1][24] लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पतालों में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत पुष्टि कर दी गई।
[25][26]अस्पताल
के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज
और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही
उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह
शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
[27]
कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे।
मेघालय के राज्यपाल
वी॰ षडमुखनाथन;
अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल में
पहुँच गए। बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की
कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया।
[25][28]
अंतिम संस्कार
मृत्यु के तुरंत बाद कलाम के शरीर को
भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से
शिलोंग से
गुवाहाटी
लाया गया। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल
कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्यूलिस
से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा। सुरक्षा
बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से
उतारा।वहां प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति
प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविन्द केजरीवाल
व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर
पुष्पहार अर्पित किये। इसके बाद तिरंगे में लिपटे डॉ. कलाम के पार्थिव
शरीर को पूरे सम्मान के साथ, एक गन कैरिज में रख उनके आवास 10 राजाजी मार्ग
पर ले जाया गया।
[29] यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री
डॉ मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष
सोनिया गांधी,
राहुल गांधी और
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव
सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने पूर्व
राष्ट्रपति के निधन के मौके पर उनके सम्मान के रूप में सात दिवसीय राजकीय
शोक की घोषणा की है।
[30]
29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130जे से भारतीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहां से इसे
मदुरै
भेजा गया, विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा।उनके शरीर को तीनों
सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट
मंत्री
मनोहर पर्रीकर,
वेंकैया नायडू,
पॉन राधाकृष्णन; और तमिलनाडु और
मेघालय के राज्यपाल
के.रोसैया और वी. षडमुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्राप्त किया। एक संक्षिप्त समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में
मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर
रामेश्वरम
एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को
स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि
जनता उन्हें आखरी श्रद्धांजलि दे सके।
[31][32]
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी,
तमिलनाडु के राज्यपाल और
कर्नाटक,
केरल और
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
[33][34]
प्रतिक्रिया
अब्दुल कलाम के निधन पर काला रिबन दिखाता
गूगल का मुख्यपृष्ठ
कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए।
[35] भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।
[36]राष्ट्रपति
प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति
हामिद अंसारी, गृह मंत्री
राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।
[37] प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
ने कहा, "उनका (कलाम का) निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है।
वह भारत को महान ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया।" पूर्व
प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी
[38],
ने कहा, "उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान मनुष्य को खोया है
जिसने, हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने
के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में डॉ कलाम
के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप
में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया
जाएगा। "
[39]
दलाई लामा
ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय
क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, "अनेक वर्षों में,
मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान
वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे,
और हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य
हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया,
लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन
किया जाता था।"
[40]
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की।
भूटान
सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने
के लिए आदेश दिया है, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए
है। भूटान के प्रधानमंत्री
शेरिंग तोबगे
ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, " वे एक महान नेता
थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता
थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।"
[41]
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री
शेख हसीना
ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, "एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और
दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग" उन्होंने कलाम
की मृत्यु को "भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया।" उन्होंने यह भी
कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें
गहरा झटका लगा है। डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों
में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के
लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। वे दक्षिण एशिया की युवा
पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे जो उनके सपनों को पंख देते थे।"
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख
खालिदा जिया ने कहा,"एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया।"
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति
अशरफ गनी, ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया" ये नोट करते हुए "हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है।"
नेपाली प्रधानमंत्री
सुशील कोइराला ने
भारत
के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त
खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।"
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ,
ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
[42][43][44]
श्रीलंका के राष्ट्रपति
मैत्रिपाला सिरिसेना
ने कहा, "डॉ कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें
दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था । उनकी मौत भारत के लिए,
बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।"
[45]
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोनो,
मलेशिया के प्रधानमंत्री
नजीब रजाक,
सिंगापुर के प्रधानमंत्री
ली सियन लूंग ,
संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति
शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं, , और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और
दुबई के शासक ने भी कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की।
[46][47] रूसी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन
ने भारत सरकार, भारत के सभी लोगों के लिए और मृतक नेता ले प्रियजनों के
लिए अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त की और अपनी सहानुभूति और समर्थन से अवगत
कराते हुए कहा, "डॉ कलाम को हमारे देशों के बीच लगातार मैत्रीपूर्ण संबंधों
के एक प्रतिपादक के रूप में याद किया जाएगा, उन्होंने भारत की राष्ट्रीय
सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी
प्रगति के लिए व्यक्तिगत योगदान दिया। उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभप्रद
रूसी-भारतीय सहयोग जोड़ने के लिए बहुत कुछ किया।"
[48]
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति
बराक ओबामा
ने कहा,"अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉ ए पी जे
अब्दुल कलाम के निधन पर भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार
करना चाहता हूँ। एक वैज्ञानिक और राजनेता, डॉ कलाम ने अपनी विनम्रता से घर
में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक
बने। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के लिए, डा कलाम ने सदा वकालत की। 1962
में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान
नासा
के साथ अंतरिक्ष सहयोग को गहरा करने के लिए काम किया। भारत के 11 वें
राष्ट्रपति के रूप में इनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों में
अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। उपयुक्त रूप से नामित "पीपुल्स प्रेसिडेंट"
(जनता के राष्ट्रपति) ने सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पण से दुनिया भर
के लाखों भारतीयों और प्रशंसकों को एक प्रेरणा प्रदान की।"
[49]
व्यक्तिगत जीवन
डॉक्टर कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह
अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे
क़ुरान और
भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे।
[5] कलाम ने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे
तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं, उनके भाषणों में कम से कम एक
कुराल का उल्लेख अवश्य रहता था।
[5]
राजनीतिक स्तर पर कलाम की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की
भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये।
भारत को
महाशक्ति
बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी। उन्होंने कई
प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक
पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहे थी। बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर
क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे। वह
भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति भी थे।
किताबें
डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: '
इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'।
[5]
इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस
प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक
विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी
है।
- "सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना,
किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का
करना और किसी घायल की सेवा करना..."
|
-अब्दुल कलाम[50] |
कलाम साहब की प्रमुख पुस्तकें निम्नवत हैं:
[51]
चिंतनपरक रचनायें
आत्मकथात्मक रचनायें
जीवनी
अन्य लेखकों द्वारा डॉक्टर कलाम की जीवनी अथवा जीवन के विविध पहलुओं पर पुस्तके लिखी गयीं हैं जिनमें कुछ प्रमुख निम्नवत हैं:
- इटरनल क्वेस्ट: लाइफ ऐंड टाइम्स ऑफ डाक्टर अवुल पकिर जैनुलाआबदीन अब्दुल कलाम एस चंद्रा कृत - (पेंटागन पब्लिशर्स, 2002) ISBN 81-86830-55-3
- प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आर॰ के॰ पूर्ति - (अनमोल पब्लिकेशन्स, 2002) ISBN 81-261-1344-8
- ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ इंडिया' के॰ भूषण एवं जी॰ कात्याल - (एपीएच पब्लिशिंग कार्पोरेशन, 2002) ISBN 81-7648-380-X
पुरस्कार एवं सम्मान
डॉक्टर कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा
विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया गया था।
[52] इसके आलावा उन्हें लगभग चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गयी थीं
[53][54] भारत सरकार द्वारा उन्हें 1981 में
पद्म भूषण और 1990 में
पद्म विभूषण
का सम्मान प्रदान किया गया जो उनके द्वारा इसरो और डी आर डी ओ में कार्यों
के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक
सलाहकार के रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया था
[55]
1997 में कलाम साहब को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
भारत रत्न प्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया था
[56]
वर्ष 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने डॉक्टर कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को
विज्ञान दिवस घोषित किया।
[57] नेशनल स्पेस सोशायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित परियोजनाओं के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिये
वॉन ब्राउन अवार्ड से पुरस्कृत किया।
[58]
चमत्कारिक प्रतिभा के धनी डॉ0 अवुल पकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम (कलाम साहब के अनमोल विचार) भारत के ऐसे पहले वैज्ञानिक हैं, जो देश के राष्ट्रपति (11वें राष्ट्र पति के रूप में) के पद पर भी आसीन हुए। वे देश के ऐसे तीसरे राष्ट्र्पति (अन्य दो राष्ट्र पति हैं सर्वपल्लीन राधाकृष्णन और डॉ0 जा़किर हुसैन) भी हैं, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पूर्व देश के सर्वोच्च सम्मा्न ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही साथ वे देश के इकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने आजन्म अविवाहित रहकर देश सेवा का व्रत लिया है।कलाम का जन्म:* मिसाइलमैन ए.पी.जे. अब्दुल कलाम *अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तामिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता जैनुल आब्दीन नाविक थे। वे पाँच वख्त के नमाजी थे और दूसरों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहते थे। कलाम की माता का नाम आशियम्मा था। वे एक धर्मपरायण और दयालु महिला थीं। सात भाई-बहनों वाले पविवार में कलाम सबसे छोटे थे, इसलिए उन्हें अपने माता-पिता का विशेष दुलार मिला।पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वमरम के प्राथमिक स्कूल में कलाम की शिक्षा का प्रारम्भ हुआ। उनकी प्रतिभा को देखकर उनके शिक्षक बहुत प्रभावित हुए और उनपर विशेष स्नेह रखने लगे। एक बार बुखार आ जाने के कारण कलाम स्कूल नहीं जा सके। यह देखकर उनके शिक्षक मुत्थुश जी काफी चिंतित हो गये और वे स्कूल समाप्त होने के बाद उनके घर जा पहुँचे। उन्होंने कलाम के स्कूल न जाने का कारण पूछा और कहा कि यदि उन्हें किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो वे नि:संकोच कह सकते हैं।कलाम के बचपन के दिन:कलाम का बचपन बड़ा संघर्ष पूर्ण रहा। वे प्रतिदिन सुबह चार बजे उठ कर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे। वहाँ से 5 बजे लौटने के बाद वे अपने पिता के साथ नमाज पढ़ते, फिर घर से तीन किलोमीटर दूर स्थित धनुषकोड़ी रेलवे स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूम कर बेचते। 8 बजे तक वे अखबार बेच कर घर लौट आते। उसके बाद तैयार होकर वे स्कूल चले जाते। स्कूल से लौटने के बाद शाम को वे अखबार के पैसों की वसूली के लिए निकल जाते।कलाम की लगन और मेहनत के कारण उनकी माँ खाने-पीने के मामले में उनका विशेष ध्यान रखती थीं। दक्षिण में चावल की पैदावार अधिक होने के कारण वहाँ रोटियाँ कम खाई जाती हैं। लेकिन इसके बावजूद कलाम को रोटियों से विशेष लगाव था। इसलिए उनकी माँ उन्हें प्रतिदिन खाने में दो रोटियाँ अवश्य दिया करती थीं। एक बार उनके घर में खाने में गिनी-चुनीं रोटियाँ ही थीं। यह देखकर माँ ने अपने हिस्से की रोटी कलाम को दे दी। उनके बड़े भाई ने कलाम को धीरे से यह बात बता दी। इससे कलाम अभिभूत हो उठे और दौड़ कर माँ से लिपट गये।प्राइमरी स्कूल के बाद कलाम ने श्वार्ट्ज हाईस्कूल, रामनाथपुरम में प्रवेश लिया। वहाँ की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 1950 में सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची में प्रवेश लिया। वहाँ से उन्होंने भौतिकी और गणित विषयों के साथ बी.एस-सी. की डिग्री प्राप्त की। अपने अध्यापकों की सलाह पर उन्होंने स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए मद्रास इंस्टीयट्यूट ऑफ टेक्ना्लॉजी (एम.आई.टी.), चेन्नई का रूख किया। वहाँ पर उन्होंने अपने सपनों को आकार देने के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का चयन किया।कलाम के जीवन का स्वर्णिम सफर:कलाम की हार्दिक इच्छा थी कि वे वायु सेना में भर्ती हों तथा देश की सेवा करें। किन्तु इस इच्छा के पूरी न हो पाने पर उन्होंने बे-मन से रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पाद DTD & P (Air) का चुनाव किया। वहाँ पर उन्होंने 1958 में तकनीकी केन्द्र (सिविल विमानन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक का कार्यभार संभाला। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर वहाँ पहले ही साल में एक पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार करके अपने स्वर्णिम सफर की शुरूआत की।डॉ0 कलाम के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब वे 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (Indian Space Research Organisation-ISRO) से जुड़े। यहाँ पर उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने अपने निर्देशन में उन्न(त संयोजित पदार्थों का विकास आरम्भ किया। उन्होंने त्रिवेंद्रम में स्पेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी सेंटर (एस.एस.टी.सी.) में ‘फाइबर रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक’ डिवीजन (Fibre Reinforced Plastics -FRP) की स्थापना की। इसके साथ ही साथ उन्होंने यहाँ पर आम आदमी से लेकर सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरूआत की।उन्हीं दिनों इसरो में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से ‘उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रम’ (Satellite Launching Vehicle-3) की शुरूआत हुई। कलाम की योग्यताओं को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें इस योजना का प्रोजेक्ट डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थायपित करने के लिए एक भरोसेमंद प्रणाली का विकास एवं संचालन। कलाम ने अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर इस योजना को भलीभाँति अंजाम तक पहुँचाया तथा जुलाई 1980 में ‘रोहिणी’ उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करके भारत को ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब’ के सदस्य के रूप में स्थापित कर दिया।डॉ0 कलाम ने भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ0 वी.एस. अरूणाचलम के मार्गदर्शन में ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ (Integrated Guided Missile Development Programme -IGMDP) की शुरूआत की। इस योजना के अंतर्गत ‘त्रिशूल’ (नीची उड़ान भरने वाले हेलाकॉप्ट रों, विमानों तथा विमानभेदी मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम), ‘पृथ्वी’ (जमीन से जमीन पर मार करने वाली, 150 किमी0 तक अचूक निशाना लगाने वाली हल्कीं मिसाइल), ‘आकाश’ (15 सेकंड में 25 किमी तक जमीन से हवा में मार करने वाली यह सुपरसोनिक मिसाइल एक साथ चार लक्ष्यों पर वार करने में सक्षम), ‘नाग’ (हवा से जमीन पर अचूक मार करने वाली टैंक भेदी मिसाइल), ‘अग्नि’ (बेहद उच्च तापमान पर भी ‘कूल’ रहने वाली 5000 किमी0 तक मार करने वाली मिसाइल) एवं ‘ब्रह्मोस’ (रूस से साथ संयुक्त् रूप से विकसित मिसाइल, ध्व़नि से भी तेज चलने तथा धरती, आसमान और समुद्र में मार करने में सक्षम) मिसाइलें विकसित हुईं।इन मिसाइलों के सफल प्रेक्षण ने भारत को उन देशों की कतार में ला खड़ा किया, जो उन्नत प्रौद्योगिकी व शस्त्र प्रणाली से सम्पन्न हैं। रक्षा क्षेत्र में विकास की यह गति इसी प्रकार बनी रहे, इसके लिए डॉ0 कलाम ने डिपार्टमेन्ट ऑफ डिफेंस रिसर्च एण्डर डेवलपमेन्टं ऑर्गेनाइजेशन अर्थात डी.आर.डी.ओ. (Defence Research and Development Organisation -DRDO) का विस्तार करते हुए आर.सी.आई. नामक एक उन्नत अनुसंधान केन्द्र की स्थापना भी की।डॉ0 कलाम ने जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा डी.आर.डी.ओ. के सचिव के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। उन्होंने भारत को ‘सुपर पॉवर’ बनाने के लिए 11 मई और 13 मई 1998 को सफल परमाणु परीक्षण किया। इस प्रकार भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की।डॉ0 कलाम नवम्बर 1999 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहे। इस दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया। उन्होंने भारत के विकास स्तर को विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की तथा अनेक वैज्ञानिक प्रणालियों तथा रणनीतियों को कुशलतापूर्वक सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नवम्बर 2001 में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार का पद छोड़ने के बाद उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। उन्होंने अपनी सोच को अमल में लाने के लिए इस देश के बच्चों और युवाओं को जागरूक करने का बीड़ा लिया। इस हेतु उन्होंने निश्चय किया कि वे एक लाख विद्यार्थियों से मिलेंगे और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित करने का कार्य करेंगे।डॉ0 कलाम 25 जुलाई 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। वे 25 जुलाई 2007 तक इस पद पर रहे। वह अपने देश भारत को एक विकसित एवं महाशक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। उनके पास देश को इस स्थान तक ले जाने के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी कार्य योजना है। उनकी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में उनका देश के विकास का समग्र दृष्टिकोण देखा जा सकता है। वे अपनी इस संकल्पना को उद्घाटित करते हुए कहते हैं कि इसके लिए भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्ककरण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा।कलाम की पुस्तकें:डॉ0 अब्दुल कलाम भारतीय इतिहास के ऐसे पुरूष हैं, जिनसे लाखों लोग प्रेरणा ग्रहण करते हैं। अरूण तिवारी लिखित उनकी जीवनी 'विंग्स ऑफ़ फायर' (Wings of Fire) भारतीय युवाओं और बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय है। उनकी लिखी पुस्तकों में 'गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पज ऑफ़ लाइफ' (Guiding Souls Dialogues on the Purpose of life) एक गम्भीर कृति है, जिसके सह लेखक अरूण के. तिवारी हैं। इसमें उन्होंने अपने आत्मिक विचारों को प्रकट किया है।इनके अतिरिक्त उनकी अन्य चर्चित पुस्तकें हैं- ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग दा पॉवर विदीन इंडिया’ (Ignited Minds:Unleashing The Power Within India), ‘एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नोलॉजी फॉर सोसायटल ट्रांसफारमेशन’ (Envisioning an Empowered Nation: Technology for Societal Transformation), ‘डेवलपमेंट्स इन फ्ल्यूड मैकेनिक्सि एण्ड स्पेस टेक्नालॉजी’ (Developments in Fluid Mechanics and Space Technology), सह लेखक- आर. नरसिम्हा, ‘2020: ए विज़न फॉर दा न्यू मिलेनियम’ (2020- A Vision for the New Millennium) सह लेखक- वाई.एस. राजन, ‘इनविज़निंग ऐन इम्पॉएवर्ड नेशन: टेक्नोमलॅजी फॉर सोसाइटल ट्राँसफॉरमेशन’ (Envisioning an Empowered Nation: Technology for Societal Transformation) सह लेखक- ए. सिवाथनु पिल्ललई।डॉ0 कलाम ने तमिल भाषा में कविताएँ भी लिखी हैं, जो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उनकी कविताओं का एक संग्रह ‘दा लाइफ ट्री’ (The Life Tree) के नाम से अंग्रेजी में भी प्रकाशित हुआ है।कलाम को मिलने वाले पुरस्कार/सम्मान:डॉ0 कलाम की विद्वता एवं योग्य ता को दृष्टिगत रखते हुए सम्मान स्वरूप उन्हें अन्ना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, कल्याणी विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय, रूड़की विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय, भारतीदासन छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, तेजपुर विश्वविद्यालय, कामराज मदुरै विश्वविद्यालय, राजीव गाँधी प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, आई.आई.टी. दिल्ली, आई.आई.टी; मुम्बई, आई.आई.टी. कानपुर, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी, इंडियन स्कूल ऑफ साइंस, सयाजीराव यूनिवर्सिटी औफ बड़ौदा, मनीपाल एकेडमी ऑफ हॉयर एजुकेशन, विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने अलग-अलग ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधियाँ प्रदान की।इसके अतिरिक्त् जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने उन्हें ‘पी-एच0डी0’ (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) तथा विश्वभारती शान्ति निकेतन और डॉ0 बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, औरंगाबाद ने उन्हें ‘डी0लिट0’ (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) की मानद उपाधियाँ प्रदान कीं।इनके साथ ही साथ वे इण्डियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, इण्डियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, बंगलुरू, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली के सम्मानित सदस्य, एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एण्ड् टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर्स के मानद सदस्य, इजीनियरिंग स्टॉफ कॉलेज ऑफ इण्डिया के प्रोफेसर तथा इसरो के विशेष प्रोफेसर हैं।डॉ0 कलाम की जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के महानायक की तरह रही है। उनके द्वारा किये गये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के कारण उन्हें विभिन्न संस्थाओं ने अनेकानेक पुरस्कारों/ सम्मानों से नवाजा है। उनको मिले पुरस्कार/ सम्मान निम्नानुसार हैं:नेशनल डिजाइन एवार्ड-1980 (इंस्टीटयूशन ऑफ इंजीनियर्स, भारत),डॉ0 बिरेन रॉय स्पे्स अवार्ड-1986 (एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया),ओम प्रकाश भसीन पुरस्कायर,राष्ट्रीय नेहरू पुरस्कार-1990 (मध्य प्रदेश सरकार),आर्यभट्ट पुरस्कार-1994 (एस्ट्रोपनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया),प्रो. वाई. नयूडम्मा (मेमोरियल गोल्ड मेडल-1996 (आंध्र प्रदेश एकेडमी ऑफ साइंसेज),जी.एम. मोदी पुरस्काफर-1996,एच.के. फिरोदिया पुरस्कार-1996, वीर सावरकर पुरस्कार-1998 आदि।उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इन्दिरा गाँधी पुरस्कार (1997) भी प्रदान किया गया। इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें क्रमश: पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) एवं ‘भारत रत्न’ सम्मान (1997) से भी विभूषित किया गया।सादा जीवन जीवन जीने वाले तथा उच्च विचार धारण करने वाले डॉ कलाम ने 27 जूलाइ को अ आख़िरी सांस ली। वे अपनी उन्नत प्रतिभा के कारण सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों की नजर में महान आदर्श के रूप में स्वीकार्य रहे हैं। भारत की वर्तमान पीढ़ी ही नहीं अपितु आने वाली अनेक नस्लें उनके महान व्यक्तित्व से प्रेरणा ग्रहण करती रहेंगी।('भारत के महान वैज्ञानिक' पुस्तक के अंश, अन्यत्र उपयोग हेतु लिखित अनुमति आवश्यक।)