Friday, June 26, 2015

नारी शिक्षा हिन्दी में निबंध / Women Education Hindi Essay

नारी शिक्षा
कहा गया है जंहा स्त्रियों की पूजा होती है वंहा देवता निवास करते हैं । प्राचीन काल से ही नारी को ‘गृह देवी’ या ‘गृह लक्ष्मी’ कहा जाता है ।

प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था । परन्तु मध्यकाल में स्त्रियों की स्थिति दयनीय हो गयी । उसका जीवन घर की चारदीवारी तक सिमित हो गया । नारी को परदे में रहने के लिए विवश किया गया । स्त्री-पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो पहिये हैं, इसलिए पुरुष के साथ साथ स्त्री का भी शिक्षित होना जरुरी है ।
यदि माता सुशिक्षित होगी तो उसकी संतान भी सुशील और शिक्षित होगी । शिक्षित गृहणी पति के कार्यों में हाथ बंटा सकती है, परिवार को सुचारु रूप से चला सकती है । स्त्री-शिक्षा प्रसार होने से नारी आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनेगी। अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति सचेत होगी । आदर्श गृहणी परिवार का आभूषण और समाज का गौरव होती है ।
स्त्री के लिए किताबी शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा भी बहुत जरुरी है । स्त्री गृह कार्य में कुशल होने के साथ साथ वह समाजसेवा में भी योगदान दे सके । नारी का योगदान समाज में सबसे ज्यादा होता है । बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा से लेकर नौकरी तक नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है । अतः नारी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए और उसका सदा सम्मान करना चाहिए ।
Women’s Education
Women have been worshipped as deities in the Indian society from ancient times as ‘Home goddess’ or’ Griha Lakshmi.
Special emphasis was given to female education in ancient times. But the status of women in the Middle Ages was miserable. Her life was restricted to the four walls of the house. Woman was forced to stay in the veil.
If a woman is educated, she can educate her child. Women are nowadays learning to become financially independent and are becoming conscious of their rights

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